जिद-राजेश जोशी
जिद-राजेश जोशी
ख़ुद की ही जेबों को निचोड़ कर
ख़ुद ही रात-रात जाग कर तैयार करते हैं
मशालें, पोस्टर और प्ले-कार्ड
अगर रैली में जुट जाते हैं सौ-सवा सौ लोग भी
तो दुगने उत्साह से भर जाते हैं वे
दुनियादार लोग अक्सर उनका मज़ाक उड़ाते हैं
असफलताओं का मखौल बनाना ही
व्यवहारिकता की सबसे बड़ी अक़्लमन्दी है
कभी-कभी छेड़ने को और कभी-कभी गुस्से में
पूछते हैं दुनियादार लोग
क्या होगा आपके इस छोटे से विरोध से ?
पर वे किसी से पलट कर नहीं पूछते कभी
कि तुम्हारे चुप रहने ने ही
कौनसा बड़ा कमाल कर दिया है
इस दुनिया में ?
पलट कर उन्होंने नहीं कहा कभी किसी से
कि दुनियादार लोगो ! तुम्हारी चुप्पियों ने ही बढ़ाई है
अपराधों और अपराधियों की संख्या हर बार
कि शरीफ़ज़ादों ! तुम्हारी निस्संगता ने ही बढ़ाए है
अन्यायियों के हौसले
कि मक्कार चुप्पियों ने नहीं छोटी छोटी आवाज़ों ने ही
बदली है अत्याचारी सल्तनतें
वे दुनियादार लोगों की सीमाएँ जानते हैं
उनके सिर पर भी हैं घर गृहस्थी और बाल-बच्चों की
ज़िम्मेदारियाँ
भरसक कोशिश करते हैं कि दोनों कामों में संतुलन बना रहे
पर ऐसा अक्सर हो नहीं पाता
घर में भी अक्सर झिड़कियाँ सुननी पड़ती हैं उन्हें
सब उनसे एक ही सवाल पूछते हैं
कि दुनिया भर की फ़िक्र
वे ही क्यों अपने सिर पर लिए घूमते रहते हैं
कि उनके करने से क्या बदल जाएगा इस समाज में ?
वे जो दुनिया की हर घटना के बारे में बोलते हैं
इस सवाल पर अक्सर चुप रह जाते हैं !!
_ राजेश जोशी
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.