वो पुराने दिन
वो पुराने दिन
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वो पुराने दिन,
वो सुहाने दिन,
आशिकाने दिन,
ओस की नमीं में भीगे
वो पुराने दिन
दिन गुजर गए,
हम किधर गए,
पीछे मुड़ के देखा
पाया सब ठहर गए,
अकेले हैं खड़े,
कदम नही बढ़े,
चल पड़ेगें जब भी कोई
राह चल पड़े,
जाएंगे कहां?
है कुछ पता नहीं,
कह रहे हैं वो कि
हम किये खता नहीं,
वो पुराने दिन,
आशिकाने दिन....¡!
- पीयूष मिश्रा
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