मैं किसान हूँ - विद्रोही
मैं किसान हूँ - विद्रोही
नई खेती
मैं किसान हूँ
आसमान में धान बो रहा हूँ
कुछ लोग कह रहे हैं
कि पगले! आसमान में धान नहीं जमा करता
मैं कहता हूँ पगले!
अगर ज़मीन पर भगवान जम सकता है
तो आसमान में धान भी जम सकता है
और अब तो दोनों में से कोई एक होकर रहेगा
या तो ज़मीन से भगवान उखड़ेगा
या आसमान में धान जमेगा।
_ रमाशंकर यादव "विद्रोही"
Poet Details -
Know more details - Click here
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.