है अजीब शहर कि ज़िंदगी
है अजीब शहर कि ज़िंदगी
लेखक - बशीर बद्र
है अजीब शहर कि ज़िंदगी, न सफ़र रहा न क़याम है
कहीं कारोबार सी दोपहर, कहीं बदमिज़ाज सी शाम है
कहाँ अब दुआओं कि बरकतें, वो नसीहतें, वो हिदायतें
ये ज़रूरतों का ख़ुलूस है, या मुतालबों का सलाम है
यूँ ही रोज़ मिलने की आरज़ू बड़ी रख रखाव की गुफ्तगू
ये शराफ़ातें नहीं बे ग़रज़ उसे आपसे कोई काम है
वो दिलों में आग लगायेगा मैं दिलों की आग बुझाऊंगा
उसे अपने काम से काम है मुझे अपने काम से काम है
न उदास हो न मलाल कर, किसी बात का न ख़याल कर
कई साल बाद मिले है हम, तिरे नाम आज की शाम है
कोई नग्मा धूप के गॉँव सा, कोई नग़मा शाम की छाँव सा
ज़रा इन परिंदों से पूछना ये कलाम किस का कलाम है.....¡!
Meaning of tough words -
- अजीब - Strange
- क़याम - Stay
- बदमिजाज - ill-tempered
- बरकतें -Blessings
- नसीहत - Advice
- हिदायत - Directions
- खुलूस - Sincerity
- मुतालबों -Demands
- सलाम - Salutation
- आरजू - Desire
- बे गरज - Selfless
- मलाल - Regret
- कलाम - Words
- समाप्त
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