दबी चवन्नी - पीयूष मिश्रा
दबी चवन्नी - पीयूष मिश्रा
हाय रे रुपयों की भरमार साथ मे दबी चवन्नी,
हाय रे सिक्कों की झंकार साथ में दबी चवन्नी...!
देश का बोझा लेके चार धाम में घूम गयी सरकार साथ मे दबी चवन्नी,
सामने दो खादी कि टोपी पहने भूले बिछड़े यार साथ में दबी चवन्नी,
हाय रे रुपयों की भरमार साथ मे दबी चवन्नी,
हाय रे सिक्कों की झंकार साथ में दबी चवन्नी...!
आज तो बाजारों के दाम देख के जले अंगीठी,
अरे प्रेशर कुकर भी करे इशारे दे के सिटी,
हाय रे मुझको छेड़े सारे शोहदे हॉट बोल के,
अरे ये गालों के गड्ढे मुम्बई के पॉट होल से,
हाय रे सइयां है मेरे सारे सरकारी दय्या,
खा गए मेरा सारा नून तेल तरकारी दय्या,
प्यारे क्या हालत हो गयी मेरे देश की मैं ये बोली,
कैसे इक रुमाल के कपड़े से बन जाये चोली,
मुलुक की चमड़ी लेके दमड़ी चाटे लँगड़ा साहूकार साथ में दबी चवन्नी,
हाय रे रुपयों की भरमार साथ मे दबी चवन्नी,
हाय रे सिक्कों की झंकार साथ में दबी चवन्नी...!
हाय रे गोरे सइयां डाल के डोरे सइयां,
अरे तुम अमरीका से मेरा घाघरा सिलने आये,
अरे बलिहारी जाऊ- अरे मैं वारी जाऊ,
अरे तुम वाशिंगटन से हाय बरेली मिलने आये,
पहनू चटक ओढ़नी- अरे वी कॉलर की,
बनाऊ छोटी कुर्ती- अरे इक डॉलर की,
चवन्नी को देखा तो अमरीका ने टपकाई है लार साथ में दबी चवन्नी,
चवन्नी को देखा तो अमरीका ने मारी है कीलकार साथ में दबी चवन्नी,
हाय रे रुपयों की भरमार साथ मे दबी चवन्नी,
हाय रे सिक्कों की झंकार साथ में दबी चवन्नी...¡!
-पीयूष मिश्रा
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