UA-149348414-1 इक बगल में चाँद होगा

 इक बगल में चाँद होगा - पीयूष मिश्रा


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इक बगल में चाँद होगा, इक बगल में रोटियाँ

हम चाँद पे, 

रोटी की चादर डाल कर सो जाएँगे

और नींद से कह देंगे

लोरी कल सुनाने आएँगे


इक बगल में चाँद होगा, इक बगल में रोटियाँ

हम चाँद पे, रोटी की चादर डाल के सो जाएँगे

और नींद से कह देंगे लोरी कल सुनाने आएँगे


एक बगल में खनखनाती, सीपियाँ हो जाएँगी

एक बगल में कुछ रुलाती सिसकियाँ हो जाएँगी

 हम सीपियो में भर के सारे तारे छू के आएँगे

और सिसकियो को, 

गुदगुदी कर कर के यूँ बहलाएँगे


अब न तेरी सिसकियों पे कोई रोने आएगा

गम न कर जो आएगा वो फिर कभी ना जाएगा

याद रख पर कोई अनहोनी नहीं तू लाएगी

लाएगी तो फिर कहानी और कुछ हो जाएगी



होनी और अनहोनी की परवाह किसे है मेरी जान

हद से ज़्यादा ये ही होगा कि यहीं मर जाएँगे

हम मौत को, हम मौत को सपना बता कर

उठ खड़े होंगे यहीं

और होनी को ठेंगा दिखा कर

खिलखिलाते जाएँगे ,

और होनी को ठेंगा दिखा कर खिलखिलाते जाएँगे...¡!


- पीयूष मिश्रा 




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