UA-149348414-1 पूर्वाग्रह

 

पूर्वाग्रह

prejudice


 पूर्वाग्रह समाज की एक बीमारी है जो उम्र से उम्र तक बनी रहती है । पूर्वाग्रह लैटिन संज्ञा प्रिजुडीयम से लिया गया है जिसका अर्थ है पूर्वाग्रह । यह पहले से एक दृष्टिकोण या विश्वास बना रहा है या पहले से निर्णय पारित कर रहा है। यह वास्तव में उस वस्तु या उत्तेजना के संपर्क में आने से पहले का निर्णय है जिस पर निर्णय पारित किया जाता है । 

               एक पूर्वाग्रह को रूढ़ियों, मिथकों, किम्वदन्तीयों के एक समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें समूह लेबिल या प्रतीक का उपयोग किसी व्यक्ति या समग्रता के रूप में माने जाने वाले समूह या चरित्रों को वर्गीकृत करने ,परिभाषित करने या परिभाषित करने के लिए किया जाता है।

                एक पूर्वाग्रह का निर्माण करने में इस प्रकार निर्णयों दृष्टिकोणों, रूढ़ियों और समूहों के पूर्वाग्रहों द्वारा निर्देशित किया जाता है । इसे या तो समूह के हित या स्वयं के हित के लिए विकसित किया जाता है ,पूर्वाग्रह आमतौर पर लोगों ,वस्तुओं ,संस्थानों ,राष्ट्र और राष्ट्रीयताओं के प्रति नकारात्मक रवैया माना जाता है।

                 कुछ का मानना है कि पूर्वाग्रह एक नकारात्मक रवैया है लेकिन यह सही नहीं है । पूर्वाग्रह कुछ अलग सामाजिक समूह के सदस्य के प्रति सकारात्मक और नकारात्मक दोनों दृष्टिकोण को दर्शाता है। दूसरी ओर, भेदभाव कुछ अलग सामाजिक समूहों या व्यक्तियों या संस्थाओं की ओर निर्देशित नकारात्मक कार्यों को संदर्भित करता है ।

                 पूर्वाग्रह में सामाजिक जीवन से प्राप्त अनुभव सरल होते हैं और इसलिए पूर्वाग्रह पैदा होते हैं । आप ट्रेन में यात्रा कर रहे हैं और एक विशेष समुदाय का व्यक्ति आपके साथ दुर्व्यवहार करता है ।आप, एक बार उन सभी के प्रति शत्रुता पूर्ण रवैया विकसित करते हैं । अनुभव के इस सरलीकरण से गलतफहमी पक्षपात और पूर्वाग्रह पैदा होते हैं।

                  शिक्षाविदों, समाज सुधारकों, सामाजिक वैज्ञानिकों और इस मामले के लिए हर समझदार व्यक्ति द्वारा चेतावनी के बावजूद ,निष्कर्ष पर कूदने के बावजूद हम ऐसा करते हैं जहां अन्य व्यक्ति चिंतित हैं। हम उनके बारे में निर्णय लेते हैं, विशेष रूप से बहिर्गमन।

                  पूर्वाग्रह और अवैज्ञानिक, निराधार निर्णय का संकेत देते हैं और यह मानते हैं कि वे कुछ लक्षण रखते हैं और इसे अपना लेते हैं । इसके बजाय, हम भविष्यवाणी करते हैं कि वे कुछ खास तरीकों से कार्य करेंगे,क्योंकि वह विशिष्ट समूहों से संबंधित हैं। यह बहुत प्रवृत्ति पूर्वाग्रह और भेदभाव की अवधारणा में एक केंद्रीय भूमिका निभाती है।

                   यहां हम वास्तविक संपर्क में आने से बहुत पहले ही न्याय कर लेते हैं। पात्रों को इस तरह से चित्रित किया जाता है कि स्वचालित रूप से हम उन्हें अवैज्ञानिक तरीके से आंकते हैं। बैरन और बायर्न ने पूर्वाग्रहों को एक विशेष प्रकार के दृष्टिकोण के रूप में परिभाषित किया है जहां व्यक्तिगत लक्षण और परिवार छोटी भूमिका निभाते हैं। उन्हें पसंद या नापसंद सिर्फ इसलिए किया जाता है क्योंकि वे एक निश्चित और विशिष्ट सामाजिक समूह से संबंधित हैं ।

                   शेरिफ के अनुसार ,समूह पूर्वाग्रह उनके समूह के मानदंडों से प्रतिकूल दृष्टिकोण को संदर्भित करता है जो कि समूह के उपचार को वीनियमित करते हैं ।

                   बच्चे अपने माता-पिता से प्रभावित होते हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी चल रहे माता-पिता के पारंपरिक पुराने पूर्वाग्रह के कारण पूर्वाग्रहों का विकास करते हैं। इस प्रकार, पूर्वाग्रहों में वैज्ञानिक चरित्र का अभाव है । वे अनुचित और पक्षपाती हैं।

                    वास्तविक जीवन के नाटक में हमारा समूह हमारे लिए अच्छाई की शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है और वे एक बाहरी समूह के रूप में बुराई की शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं । हम चुने गए हैं, गौरवशाली भाग्य के लोग, हमारे जीवन के उद्धारकर्ता हैं, जबकि वे विनाश की ताकत हैं, हीन लोग, अयोग्य जो है ,जो समूह सदस्यता का विषय है। इसलिए पूर्वाग्रह हमेशा "अन्तरग्रन्थ" द्वारा "आउट समूह" की ओर व्यक्त किया जाता है ।

                    फिल्डमैन के अनुसार, एक विशेष समूह के सदस्यों का सकारात्मक या नकारात्मक मूल्यांकन या निर्णय है जो मुख्य रूप से उनकी सदस्यता के तथ्य पर आधारित होते हैं और व्यक्तिगत सदस्यों की विशेष विशेषताओं के कारण जरूरी नहीं है।

                    


पूर्वाग्रह की विशेषताएँ


( 1 ) पूर्वाग्रह सीखें हुए होते हैं ( prejudices are learned ) - समाज मनोवैज्ञानिक ने पूर्वाग्रह का वर्णन सीखे हुए व्यवहार के रूप में किया जाता हैं । पूर्वाग्रहों का विकास क्रमशः होता है . यह जन्म के समय विद्यमान नहीं होते हैं । पूर्वाग्रहों का विकास बालकों में तीसरे चौथे वर्ष ही आरम्भ जाता है । एक बालक में यहीं पूर्वाग्रह निर्मित या विकसित होते है जो पूर्वाग्रह उसके परिवारीजनों या निकट सम्बन्धि में पाये जाते हैं । गुडमैन ( 1952 ) ने अपने अध्ययनों के आधार पर बताया कि बालक में शिक्षा और अनुभव के आधार पर दूसरी जाति के लोगों और दूसरे राष्ट्र के प्रति मित्रता या त्रुता को भावनाएं विकसित होती हैं । पूर्वाग्रह को अर्जित प्रक्रिया के रूप में सभी मनोवैज्ञानिक स्वीकार करते हैं और यह मानते है कि बालक जैसे - जैसे दूसरे आति समूह प्रजाति के सम्पर्क में आता है उस बालक में पूर्वाग्रह उसके अर्जित अनुभवों के पर निर्मित और विकसित होते हैं ।


( 2 ) पूर्वाग्रह अतार्किक होते हैं ( Prejudices are Irrational ) - पूर्वाग्रह तथ्यों पर आधारित नहीं होते है अथवा इस प्रकार भी कह सकते है कि पूर्वाग्रह तर्क पर आधारित नहीं होते हैं । पूर्वाग्रह अतार्किक और विवेकहीन ( Irrational ) होते हैं । यही कारण है कि जब पूर्वाग्रह से सम्बन्धि सत्य



3 ) पूर्वाग्रह संवेगात्मक रंग के होते हैं ( Prejudice are Emotionally toned ) - पूर्वाग्रह जब धनात्मक अभिव्यक्ति से सम्बन्धित होते है तब व्यक्ति दूसरे लोग , दूसरे समूह , दूसरे जाति और धर्म के लोगों के प्रति स्नेह और प्रेम सम्बन्धि व्यवहार की अभिव्यक्ति करता है । दूसरी और जम पूर्वाग्रह ऋणात्मक अभिवृत्ति से सम्बन्धित होता तब व्यक्ति दूसरे लोगों , दूसरे जाति , दूसरे समूह , दूसरी जाति और धर्म के लोगों के प्रति पणा और विद्वेष आदि सम्बन्धित व्यवहार को अभिव्यक्ति करता हैं । जब पूर्वाग्रह की तीव्रता अधिक होती तब पूर्वाग्रह से सम्बन्धित संवेगात्मक अभिव्यक्ति सुपष्ट दिखायी देती , लेकिन जब पूर्वाग्रह की तीव्रता कम होती है तब संवेगों की अभिवृत्ति पद्यपि दिखायी नहीं देती हैं लेकिन व्यक्ति में विचारात्मक स्तर पर विद्यमान होती हैं । अमेरिका में नीनों लोगों के प्रति गोरे लोगों का व्यवहार बहुधा संवेगात्मक रंग से रंगा होता है । अमेरिका में ही नहीं अपने देश में भी उच्च जाति का निम्न जाति के लोगों के प्रति एक और धर्म के लोगों का दूसरे धर्म के प्रति व्यवहार बहुधा संवेगात्मक रंग से रंगा होता हैं ।


(4) पूर्वाग्रह सन्तोष प्रदान करते हैं ( Prejudices are Satisfying - पूर्वाग्रह सामाजिक दृष्टि से हानिकारक होते हैं फिर भी एक समूह के लोगों में यह विद्यमान रहते हैं । इनके विद्यमान रहने का मुख्य कारण यह दिखाई देता है कि पूर्वाग्रह सन्तोष प्रदान करने वाले होते हैं । इसीलिए यह हानिकारक होते हुए भी समाज के लोगों में विद्यमान रहते हैं । इन्हीं पूर्वाग्रहों के कारण अक्सर हम श्रेष्ठता की भावना का अनुभव करत हैं , सन्तोष प्राप्त करते हैं । कभी - कभी यह भी देखा गया है कि पूर्वाग्रहों के कारण शत्रुता और हिंसा का बहाना मिलता हैं और ऐसा व्यवहार करके भी हम प्रायश्चित के स्थान पर हम सन्तोष का अनुभव करते हैं ।


( 5) पूर्वाग्रह दोषपूर्ण दृढ़ सामान्यीकरण पर आधारित होते हैं ( Prejudices are based on faulty and inflexible generalization ) - पूर्वाग्रह के विकास में तर्क बुद्धि का विशेष महत्व नहीं हैं । बहुधा व्यक्ति समाज को अपने परिवारीजनों व निकट सम्बन्धियों के अनुकरण ( Immitation ) के आधार पर सीखता हैं । इनको उक व्यक्ति अपने व्यवहार का अंग इसलिए बना लेता हैं क्योंकि उसके अनेक परिवारीजन और निकट सम्बन्धी भी इसी प्रकार के पूर्वाग्रह रखते हैं । यही कारण है कि व्यक्ति अपने पूर्वाग्रहों में न तो परिवर्तन करता है और न ही परिवर्तन करने को तैयार होता हैं ।



पूर्वाग्रह के प्रकार अनेक आधारों पर बताये गये है यहाँ पूर्वाग्रह के कुछ प्रमुख प्रकारों का वर्णन निम्न प्रकार से हैं


(1 ) जाति पूर्वाग्रह ( caste Prejudice ) - भारतवर्षों में अनेक जातियों के लोग रहते हैं । भिन्न - भिन्न जाति के लोग एक - दूसरे को समान दृष्टि से नहीं देखते हैं । उच्च जाति में निम्न जाति के प्रति अनेक पूर्वाग्रह प्रचलित हैं । उदाहरण के लिए जब वैश्य आति के व्यक्ति को कोई लाला कहता है तब कहने वाले मस्तिष्क में लाला की प्रतिमा बनती हैं । उच्च जाति के लोग निम्न जाति के लोगों को सेवक या नौकर की दृष्टि से देखते हैं ।


(2). यौन पूर्वाग्रह ( sex Prejudice ) - लिंग या सेक्स के आधार पर जो पूर्वाग्रह विकसित होते हैं उन्हें यौन पूर्वाग्रह कहते हैं । समाज मनोवैज्ञानिक ने यौन पूर्वानों का अध्ययन कर देखा कि यौन पूर्वाग्रह के कारण ही स्त्रियों को कमजोर , मुलायम हदय वालीख सहानुभूति वाली , दूसरे पर निर्भर रहने वाली और नेतृत्व गुणों से रहित समझा जाता हैं । इसी प्रकार के पूर्वाग्रहों के कारण ही पुरुषों को प्रभुत्वशाली , स्वतन्त्र और मेहनती समझा जाता है । इस प्रकार के परिणाम अनेक अध्ययनों से प्राप्त हुए हैं । ( Goklberg , 1968 ; Broverman , 1970 ) । परन्तु इस प्रकार के पूर्वाग्रमो का अमेरिका में जो अध्ययन हुआ है उनसे यह सिद्ध हुमा है कि पुरुषों और महिलाओं के पूर्वाग्रह अब काफी बदल चुके हैं । ( Merg , 1987 ) ने अपने अध्ययनों आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि अमेरिका में अब महिलाओं और पुरुषों को समान या समान गुणों वाला समझा जाने लगा है । स्त्री पुरूषों के पूर्वाग्रह में जो परिवर्तन हुए है यह केवल विकसित देशों में हुए हैं । दूसरी ओर भारत जैसे विकासशील देशों में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है । भारत में आज भी स्त्री को अबला , विनय और घर में रहने वाली कठपुतली आदि समझा जाता हैं ।


(3) . भाषा पूर्वाग्रह ( Language Prejudice ) - भारतवर्ष में अनेक प्रकार की भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं । एक भाषा बोलने वाले लोग अपने को एक समूह का सदस्य समझते है जबकि दूसरी भाषा बोलने वाले लोग अपने को दूसरे समूह का सदस्य समझते हैं । एक प्रकार की भाषा बोलने वाले लोग दूसरी प्रकार की भाषा बोलने वाले लोगों को अपना नहीं समझते हैं । उन्हें अपरिचित समझा जाता हैं , उनकी भाषा को अप्रिय और असंगत समझा जाता है । इस प्रकार की विचार धारा अलग - अलग भाषा बोलने वाले लोगों में पायी जाती हैं । समान भाषा बोलने वाले लोगों से मित्रवत् व्यवहार किया जाता हैं । उ . प्र . में अवधी भाषा बोलने वाले लोग जब ब्रज क्षेत्र में जाते है तब उन्हें ब्रज क्षेत्र के लोग पिछड़ा ( Backward ) और देहाती समझते हैं । भाषा को लेकर भी मनमुटाव और तनाव उत्पन्न होता है ।


(4)धर्म पूर्वाग्रह ( Religion Prejudice ) - अपने देश में भिन्न - भिन्न धर्मों के लोग रहते हैं । प्रत्येक धर्म के लोग अपने धर्म को श्रेष्ठ और दूसरे धर्म के लोगों को कुछ हीन दृष्टि से देखते हैं । उदारहण के लिए मुस्लिम धर्म के लोग अपने धर्म के लोगों को खुदा की औलाद बताते हैं । जबकि भिन्न धर्म वाले लोगों को काफिर कहते हैं । हिन्दु लोग मुस्लिम लोगों को गन्दा समझते हैं । सिक्ख धर्म के लोगों को बहुत धूर्त और चालाक समझा जाता है । अपने समाज के लोगों में खत्री लोगों में कहावत है खत्री पुत्रम् कभी न मित्रम् , जब मित्रम् तब दगी - दगा । इस दिशा में हुए अध्ययनों में यह देखा गया है कि जो लोग धर्म में विश्वास नहीं करते है उन लोगों में भी धर्म सम्बन्धि त पूर्वाग्रह पाये जाते हैं ।


(5) क्षेत्रीय पूर्वाग्रह ( Regional Prejudice ) - अपने देश में भिन्न - भिन्न प्रदेश वाले दूसरे लोग दूसरे प्रदेश में रहने वाले लोगों से पूर्वाग्रह पूर्ण व्यवहार करते हैं । उदाहरण के लिए गाँव और देहात में रहने वाले लोग नासमझ और बेवकूफ समझते हैं । इसी प्रकार से बड़े महानगरों में रहने वाले लोग जैसे दिल्ली और मुम्बई में रहने वाले लोगों को दूसरे लोग अधिक चालाक , अधिक धूतं और अधिक खुदगर्ग ( Selfish ) समझते हैं । इसी प्रकार से बिहार में रहने वाले लोगों को बुधू और झगड़ालू समझा जाता बंगालियों को डरपोक और कमजोर समझा जाता हैं इत्यादि


(6)आयु पूर्वाग्रह ( Age Prejudice ) - आयु के आधार पर भी पूर्वाग्रह होते हैं । अधिक आयु के लोग कम आयु के लोगों को अपरिपक्व , कम अनुभवी और जोशिला समझते हैं वहीं अधिक आयु के लोगों को दूसरी आयु के लोगों द्वारा निश्क्रिय , असमाजिक और जराजीणं ( Senile ) समझा जाता है और ऐसा समझकर वयोवृद्ध लोगों के साथ व्यवहार किया जाता है । बटलर ( 1980 ) के अनुसार , आयुवाद ( Ageism ) के ही कारण दूसरे आयु के लोग वयोवृद्ध लोगों के प्रति ऋणात्मक अभिवृति ( Negative attitude ) का प्रदर्शन करते हैं ।


By - Kashish Bagi


Source - Book,  Wikipedia and Self Knowledge


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