कैसे पहचाने कि काटने वाला सांप जहरीला था या नहीं?
कैसे पहचाने कि काटने वाला सांप जहरीला था या नहीं?
भारत में बहुत कम ही ऐसे सांप पाए जाते हैं जो जहरीले हों अत्यधिक मौतें सांप काटने के पश्चात होने वाले भय के कारण हुए हैं।
कैसे पहचाने कि काटने वाला सांप जहरीला था या नहीं?
1.यदि सांप के काटने पर गोल निशान पड़ता है तो सांप जहरीला नहीं था और अगर वी(V) आकार या अन्य कोई आकार बनता है तो सांप जहरीला था। सांप को अच्छी तरह देखने और पहचानने की कोशिश करें। ताकि सांप का हुलिया बताने से चिकित्सक को इलाज करने में आसानी हो।
2. सांप काटने कि जगह दर्द,झनझनाहट और सूजन होगा।
3.सांप काटने वाली जगह नीला पड़ जाएगा।
4.पीड़ित व्यक्ति के मुंह से लार टपकने लगेगा लकवा की स्थिति भी पैदा हो सकती है।
5.आंखो से धुंधला दिखाई देना शुरू हो जाएगा।
6.नींद आने लगेगी लेकिन रोगी को सोने नहीं देना है।
7.सांस लेने में तकलीफ होगी।
8.बोलने में परेशानी होगी।
सांप काटने पर की जाने वाली कार्यवाही:-
1.पीड़ित व्यक्ति को आरामपूर्वक लिटा दें और सर को थोड़ा ऊंचा रखें।
2.रोगी को हिलने डुलने न दें और शांत रखें।
3 पीड़ित व्यक्ति के शरीर पर से सारी चीजें जैसे घड़ी, कड़ा, कंगन, अंगूठी, पायल, चेन व जूते चप्पल आदि सभी चीजें उतार लें।
4.सर्पदंश के स्थान को पोटेशियम परमेगनेट या लाल दवा के पानी अथवा साबुन से धोना चाहिए।
5.जिस अंग में सांप काटा हो उस अंग में रस्सी से बांध दें लेकिन ध्यान रहे इतना टाइट नहीं बांधना है कि एकदम ही रक्तप्रवाह रुक जाए और वह अंग निष्क्रिय हो जाए।
6.अंग निष्क्रिय न हो जाए इस लिए कुछ समय अंतराल पर रस्सी को ढीला करके फिर से बांध दें।
7.यदि रोगी को सांस लेने में दिक्कत हो तो उसे कृत्रिम सांस दें। या CPR ( Cardio Pulmonary Resuscitation) भी से सकते हैं।
8.और सबसे मुख्य बात, जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी हॉस्पिटल पहुंचाने की कोशिश करें।
9.जल्दी हॉस्पिटल पहुंचने के लिए एम्बुलेंस को फोन कर के बुलाएं और खुद भी घर से निकल जाएं, ताकि रास्ते में जल्दी से एम्बुलेंस आपको रिसीव कर सके।
सांप काटने पर ये काम बिल्कुल भी ना करें:-
१.घाव के जहर को चूसने की कोशिश बिल्कुल भी ना करें। इससे सिर्फ समय की बरबादी होगी।
२.काटे गए स्थान पर या हाथ पांव में हुए घाव को काटकर, छेदकर खोलने की कोशिश न करें।
३.काटे गए स्थान पर जड़ी-बूटी,रसायन या बर्फ का पैक न लगाएं।
४.काटे गए स्थान पर कुछ ना रगड़ें, ऊपर से रगड़ने आर कोई प्रभाव नहीं होगा।
५.पीड़ित को कुछ भी मुंह से खाने को ना दें।
६.परंपरागत उपचारों का प्रयोग ना करें।
७.शरीर के अंगों को ज्यादा हिलाना डुलाना नहीं चाहिए।
८.चलना फिरना नहीं चाहिए।
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