Truth of Delhi Govt's ad reffering Sikkim as 'seperate nation' controversy in Hindi
Truth of Delhi Govt's ad reffering Sikkim as 'seperate nation' controversy in Hindi
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Image Source - Freeworldmap.net |
20 मई को दिल्ली सरकार ने सभी अखबारों में एक एडवर्टाइजमेंट दिया था। इस एडवर्टाइजमेंट में सिविल डिफेंस कोर में स्वयंसेवक के रूप में भर्ती होने के लिए आवेदन करने को कहा गया था। इसके लिए पात्र व्यक्ति के बारे में लिखा गया था कि वह भारत का नागरिक हो या नेपाल भूटान या सिक्किम की प्रजा हो और दिल्ली का निवासी हो। यहां सिक्किम राज्य को नेपाल और भूटान जैसे देश के साथ तुलना की गई है। इस बात को लेकर लोगों ने आपत्ति जताई । यहां तक कि सिक्किम के मुख्यमंत्री ने भी आपत्ति जताई और ट्वीट किया कि:-
This Advertisement published by the Delhi Government in variouse print media mentions Sikkim along with countries like Bhutan and Nepal. Sikkim has been a part of India since 1975 and celebrated the State Day just a week ago.अब इस बात को लेकर विपक्षी पार्टी और भाजपा के कुछ नेता और विधायक आम आदमी पार्टी को एंटी नेशनल, देशद्रोही और गद्दार ना जाने क्या क्या साबित करने लगे। जबकि आम आदमी पार्टी का कहना है कि हमने गृह मंत्रालय के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए बस वही ऐड दे दिया है जो रूल और रेगुलेशन के तहत आते हैं। और जिस ऑफिसर ने यह एडवर्टाइजमेंट दिया था उनको तत्काल ही सस्पेंड कर दिया गया है।
अब बात करेंगे कि सिविल डिफेंस क्या होता है?
सिविल डिफेंस का अर्थ होता है नागरिक सुरक्षा। सिविल डिफेंस में लोग वालॉन्टियर्स के रूप में काम करते हैं।जब युद्ध की स्थिति में सेना और पैरामिलिट्री और बाकी फोर्स व्यस्त हों तो उस स्थिति में देश में शांति व्यवस्था बनाने के लिए या कुछ और कार्यवाही करने के लिए पुलिस के साथ यह सहयोग कर सकते हैं। खास करके इनका उपयोग आपदा प्रबंधन के रूप में किया जाता है।जैसे कहीं बाढ़ आ जाती है या भूकंप आ जाता है तो वहां के लोगों को सुरक्षा देना और उनकी मदद करना इनकी अहम भूमिका होती है। यह एक वॉलंटरी फोर्स होती है। परमानेंट नहीं होती है। साल में एक बार ट्रेनिंग होती है और जब जरूरत पड़ती है तभी बुलायेे जाते हैं।ऐसा नहीं की है 12 महीने काम करते हैं या फिर इनकी परमानेंट नौकरी होती है। यह एक्चुअल कॉम्बैक्ट को छोड़कर हर काम करते हैं। मतलब उनके हाथों में बंदूक नहीं होगी लेकिन पुलिस की तरह यह भी ड्यूटी कर सकते हैं। इनसे ड्यूटी ली जा सकती हैं,ठीक उसी प्रकार जैसे पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में कुछ पुलिस वालों की नौकरी होती है।
सिविल डिफेंस एक्ट (नागरिक सुरक्षा अधिनियम) 24 मई 1968 में बनकर तैयार हुई। और इसका विस्तार संपूर्ण भारत पर है।यह किसी राज्य या उसके भाग में उस तारीख को प्रवृत्त होगा जिसे केन्द्रीय सरकार अधिसूचना द्वारा नियत करे और जो भारत रक्षा अधिनियम, 1962 (1962 का 51) के अवसान की तारीख से पूर्व की न हो, और विभिन्न राज्यों या उनके विभिन्न भागों के लिए विभिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी । इनकी मुख्य भूमिका यह है कि यह आम नागरिक को सुरक्षा प्रदान करेंगे और युद्ध की स्थिति में सभी फैक्ट्रियों और कंपनियों को सुचारू रूप से चलने में मदद करेंगे ताकि लोगों में असंतोष पैदा ना हो और लोगों को जरूरत के सभी सामान उपलब्ध कराया जा सके। चुकी अब युद्ध की स्थिति बहुत कम रहती है तो इनको मुख्य रूप से आपदा प्रबंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इसकी तुलना एनडीआरएफ(नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) से नहीं की जा सकती क्योंकि एनडीआरएफ एक अलग फोर्स है जो परमानेंट तौर पर काम करती है। कभी न्यूक्लियर अटैक हो जाए या बायोलॉजिकल या केमिकल वार फेयर हो या फिर कोई भी मैन मेड या नेचुरल आपदा आने पर इनका इस्तेमाल किया जाता है।
अब सवाल आता है सिविल डिफेंस को कंट्रोल कौन करता है?
भारत का गृह मंत्रालय में एक विभाग है डायरेक्टरेट जनरल फायर सर्विस सिविल डिफेंस एंड होमगार्ड्स(महानिदेशालय अग्निशमनअग्निशमन सेवाएं, नागरिक सुरक्षा और गृह रक्षक)। यह विभाग सिविल डिफेंस को पूरी तरह से कंट्रोल करता है।
अब सवाल उठता है कि दिल्ली सरकार ने सिक्किम को नेपाल और भूटान के साथ तुलना क्यों की?
1968 में सिविल डिफेंस एक्ट के रूल रेगुलेशन बने ।जिसमें साफ तौर पर लिखा गया था कि इसके लिए वही लोग एलिजिबल है जो भारत के नागरिक होने के साथ या तो नेपाल या भूटान अथवा सिक्किम का निवासी हो। उस समय सिक्किम भारत का हिस्सा नहीं था । लेकिन 1975 में सिक्किम भारत का हिस्सा बना। गलती यहीं से हुई है 1968 से बना हुआ रूल अभी तक चला रहा है उसमें संशोधन नहीं किया गया। इसमें कहीं ना कहीं गलती वहां बैठे अफसरों की है जिन्होंने 1975 में सिक्किम को भारत का राज्य होने के बावजूद भी इसमें संशोधन करके उसे दर्ज नहीं किया गया।सन 2009 में एक्ट संशोधन का काम हुआ था और उसमें बस एक लाइन जोड़ दिया गया कि सिक्किम अब भारत का हिस्सा है इसलिए जब भी भारत का कहीं नाम आएगा तो सिक्किम के नागरिकों को भी वरीयता दी जाएगी।
उन्होंने एक्ट में तो संशोधन कर दिया लेकिन भर्ती प्रक्रिया के रूल रेगुलेशन में कोई संशोधन नहीं किया और दिल्ली सरकार ने वहां से सिर्फ कॉपी पेस्ट किया और एडवर्टाइजमेंट निकाल दी।
दिल्ली सरकार ने अपने बयान में कहा कि सिक्किम भारत का अभिन्न हिस्सा है और उसकी तुलना किसी दूसरे देश से करना गलत है उन्होंने माना कि अफसर से गलती हुई थी और उनको तत्काल रुप से सस्पेंड कर दिया गया है।
तो यह मतलब साफ है कि दिल्ली सरकार से यह गड़बड़ी एक पुराने रूल रेगुलेशन को सीधे कॉपी पेस्ट करने की वजह से हुई है न कि किसी राजनैतिक प्रेरणा से।लेकिन ये राजनीति है यहां तिल का ताल जल्दी से बनता है।
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