अम्मा
अम्मा
जोड़े पाई-पाई अम्मा ।
दुःख थे पर्वत,राई अम्मा
हारी नहीं लड़ाई अम्मा ।
इस दुनियां में सब मैले हैं
किस दुनियां से आई अम्मा ।
दुनिया के सब रिश्ते ठंडे
गरमागर्म रजाई अम्मा ।
जब भी कोई रिश्ता उधड़े
करती है तुरपाई अम्मा ।
बाबू जी तनख़ा लाये बस
लेकिन बरक़त लाई अम्मा ।
बाबूजी थे छड़ी बेंत की
माखन और मलाई अम्मा ।
बाबूजी के पाँव दबा कर
सब तीरथ हो आई अम्मा ।
नाम सभी हैं गुड़ से मीठे
मॉं जी, मैया, माई, अम्मा ।
सभी साड़ियाँ छीज गई थीं
मगर नहीं कह पाई अम्मा ।
अम्मा में से थोड़ी - थोड़ी
सबने रोज़ चुराई अम्मा ।
घर में चूल्हे मत बाँटो रे
देती रही दुहाई अम्मा ।
बाबूजी बीमार पड़े जब
साथ-साथ मुरझाई अम्मा ।
लड़ते-लड़ते, सहते-सहते,
रह गई एक तिहाई अम्मा ।
बेटी की ससुराल रहे खुश
सब ज़ेवर दे आई अम्मा ।
अम्मा से घर, घर लगता है
घर में घुली, समाई अम्मा ।
बेटे की कुर्सी है ऊँची,
पर उसकी ऊँचाई अम्मा ।
दर्द बड़ा हो या छोटा हो
याद हमेशा आई अम्मा।
घर के शगुन सभी अम्मा से,
है घर की शहनाई अम्मा ।
सभी पराये हो जाते हैं,
होती नहीं पराई अम्मा ।
-योगेश छिब्बर
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2 Comments
Bahut achchhi poem hai amma aap mera bhi blog padhiye aur bataiye ki kya kami hai use kaise sudhara ja sakta hai
ReplyDeleteAap apne blogger ka template badalkar responsive kar lijiye.... Youtube pe kayi video honge isase related...Bas search kijiye Blogger template
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