जलेबी गोल क्यों बनाई जाती है ?
जलेबी गोल क्यों बनाई जाती है ?
जलेबी गोल क्यों बनाई जाती है ? जैसा प्रश्न पढ़कर ही लगता कि इसका क्या कारण हो सकता है फिर भी जो मुझे उचित कारण लगता है मै उसको बताने की कोशिश करूंगा। जलेबी से सम्बन्धित निम्न बाते जान लेते हैं -
जलेबी का इतिहास
इसका इतिहास मतभेद भरा है कुछ लोगों का मानना है कि "जलेबी" शब्द पूरी तरह अरबी शब्द है , जबकि कुछ लोगों का यह मानना है कि यह भारतीय है ,जिसका शुरुआती नाम "जल - वल्लिका" है ,जो बाद में बदलते बदलते जलेबी हो गया। फारसी और अरबी टच में इसका नाम जलाबिया हुआ । उत्तर - पश्चिम भारत में इसका नाम जलेबी ,बंगाल में जिलपी और महाराष्ट्र में जिलबी नामो से जाना जाने लगा।जैसा कि जलेबी के इतिहास के बारे में हमें ज्यादा कुछ भी ठोस प्रमाण के साथ नहीं पता है जैसे कि इसे पहली बार , कब ? किसने ? कहां ? पर बनाया था। तो इसके गोल होने के पीछे निम्न तर्क दिए जा सकते है -
- पहला
इसका नाम भी जलेबी है। कुछ लोग इसे जंगली जलेबी के नाम से जानते है । यह पक जाने पर लाल हो जाता है और खाने में मीठा लगता है। कुछ साल पहले इसका पेड़ हमारे बगीचे में हुआ करता फिर आंधी में गिर कर ख़तम हुआ। तो जहां तक मुझे लगता है इस प्राकृतिक जलेबी को देख कर पहली बार कृत्रिम जलेबी को बनाया गया होगा। जिसका आकार सम्भवत: इस फल के जैसे ही घुमावदार (यानी कि गोल ) रहा होगा । जो समय के साथ साथ आधुनिक जलेबी जैसा बदल गया होगा।
आगे आप निम्न तर्क कर सकते है -
पहली बार जलेबी गोल बनी क्योंकि -
- गोल आकार बनाना आसान है। आसान तो बिल्कुल सीधा भी रखा जा सकता है, लेकिन गर्म तेल में आखिर वो मूड़ ही जाता होगा, इसलिए बनाने वाले ने इसे गोल ही कर दिया होगा।
- गोल होने पर रस और जलेबी का संपर्क क्षेत्रफल बढ़ जाता है। जिससे जलेबी में रस आसानी से ज्यादा मात्रा में खिल जाता है। इस वजह से बनाने वाले ने इसे गोल किया । हालांकि यह काम चौकोर और तिकोना करके भी किया जा सकता है लेकिन गोल बनाना ज्यादा आसान है।
- संभवतः पहली बार गोल ही बनी बिना कुछ सोचे समझे और वो वैसे ही पसंद की गई और आज तक गोल ही है।
Image Source - Google
History Source - Wikipedia
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