बेटी
बेटी
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Photo by Omid Armin on Unsplash |
कितने खुशनसीब है वो माँ बाप,
जान कर नन्हीं परी,
लोथ को ही मिटा डाला,
खून के आंसू आये हैं उनके हिस्से,
जिन्होंने उंगली पकड़ बेटियों को,
ये जहां है बता डाला,
कहीं खून के छीटे,
कहीं बूटों की आहट,
कहीं फिर आज निकली,
इक बच्ची की लाश कुंए से,
कहीं फिर इक बच्ची खो गयी,
बरामदे में सोई हुई,
कोई तो हो एक अटूट पहरा इनके लिए,
कोई तो हो एक सच्चा चेहरा इनके लिए,
कई समाचार पत्रों की सुर्खी बनीं,
आज फिर इक विवाहिता संदिग्ध जली,
कोई तो पता हो इनके लिए,
इक शुद्ध चीता हो इनके लिए,
हत्या है या आत्म हत्या हर आंख उलझी हुई है, जब किसी मासूम लड़की की लाश,
मिलती है पति के घर डोर से लटकी हुई,
कोई तो पहचान हो इनके लिए,
इक धरती आसमान हो इनके लिए,
इक दर्द जो बांटे न बटे,
इक ज़िन्दगी ऐसी जो काटे न कटे,
बिखरे सारे अरमानों के पंख,
कहीं तो छांव हो इनके लिए,
इक ऊंची उड़ान हो इनके लिए।
BY-KASHISH
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