ऐसा होता क्यों है ?
ऐसा होता क्यों है ?
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Love poetry |
ख्वाब आया था ऐसा,
रात तकिये पर सोये थे आराम से सर रखकर,
जो न मिलना था ज़िंदगी मे कभी,
वही पा लिए थे,
तभी अचानक झकझोर कर हमें,
जगा दिया किसी ने,
दिन भर खयालों में चलता वही सब,
शाम होते दिल आंखों की नमीं से पूछ बैठा,
ज़िंदगी के सफर में होता है जो सबसे प्यारा ,
वही रूठ जाता क्यों है?
कितनी बातें कहीं थी अपनी,
कितनी बातें सुनी थी उसकी,
फिर कुछ तारीखें गुमसुम सी चली,
हादसे आये और गए,
समाज के झूठे रिवाजों,
खानदानों की झूठी इज्जत,
और अपनों की सच्ची साजिशों पर,
दिल अपना ही लहू बहाता क्यों है?
BY-KASHISH
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