UA-149348414-1 A unique love letter

                                                        प्रेम पत्र

जिस प्रेम ने हमें आपस मे बांध रखा है,वह गहरा,सबल और अनोखा है। जिसकी गहराई सागर की गहराई से भी अधिक है। उसकी शक्ति के सामने पहाड़ की भी शक्ति तुच्छ है और वह मेरे पागलपन से भी ज्यादा निराली है।
                         सदियां बीत चुकी हैं, जबकि पहले प्रातः काल मे हम एक दूसरे से परिचित हुए और यद्यपि हम कितनी ही दुनियाओं की पैदाइश ,जवानी और मृत्यु के दृश्य देख चुके हैं,फिर भी हम जवान और उत्साहपूर्ण हैं।यद्यपि हमारे मन में इच्छाएं और अभिलाषाएं बनी हुई हैं,लेकिन फिर भी हम अकेले हैं। कोई पास नहीं आता। यद्यपि हम लम्बे समय से एक दूसरे से लिपटे हुए हैं,फिर भी हमें चैन नहीं। दबाई हुई ख्वाहिश और रोके हुए जोश को चैन कहाँ?
                  न जाने वो कौन सी आग है जो हमारे मन के बिस्तर को गर्म करेगी और वो कौन सी लहर है,जो हमारे सीने की आग को ठंडा करेगी। न जाने वो कौन सा पल होगा जब तुम सिर्फ मेरी नज़रों में ही नहीं पूरी दुनिया  और  ईश्वर का अस्तित्व अगर है तो उसके सामने और उसके बनाये हर एक चीज़ के सामने भी तुम सदा  मेरी और सिर्फ मेरी  होगी।
         रात के सन्नाटे में मेरा मन उस आग के लिए बड़बड़ाता है और मेरा दिल उसे ठंडक देने की कोशिश में लगा रहता है। लेकिन मैं नींद की हालत में भी किसे पुकारता हूँ,मुझे मालूम है ।
                     मैं अपने दिल और दिमाग के बीच हमेशा से बैठता आया हूँ। मैं ,मेरा दिमाग और मेरा दिल जिसे प्रेम ने एकता में बांध रखा है,वह प्रेम गहरा,मजबूत और अनोखा है और वह प्रेम तुम्हारे लिए है और सदा तुम्हारे लिए रहेगा।
                 काल के नियम शरीर पर लागू होते हैं,आत्मा पर नहीं। शरीर का रंग रूप आकार बदलता है। शरीर ही आकर्षण का केंद्र बिंदु होता है। पर उसका क्या जिसे आत्मा ने अपना जान लिया हो और अपना लिया हों?
                    जब आत्मा जन्म और मृत्यु के जटिल नियम से भी परे है तो उसी आत्मा की चाहत पे किसका ज़ोर चल सकता है? फिर क्यों बदलेगा वो अपनी चाहत? चाहत शरीर की बदलती है उसे हर वक्त कुछ नया चाहिए। आत्मा को नयापन मृत्यु के बाद ही मीलता है। उसमें भी एक बन्धन है जो कभी सात जन्मों का होता है और कभी युगों का।हमारा कौन सा बन्धन है मुझे नहीं पता लेकिन जो भी है इस जीवन से आगे है।शायद अगले कई जन्मों तक। तुम किसी भी रूप में मिलो लेकिन बन्धन की गांठ तोड़ना मेरे वश में नहीं है।
                    - सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा सदा के लिए
                                                      
                                                      BY-KASHISH
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