I am a poet
I am a poet
तो चाँद की ठंडक भी हूँ,।।
मैं सागर की गहराई हूँ
तो पर्वत की ऊंचाई भी हूँ।।
मैं प्रतिशोध की ज्वाला हूँ,
तो दया का सहज भाव भी हूँ।।
मैं राजा का सिंहासन हूँ,
तो प्रजा का कृतज्ञ भय भी हूँ।।
मैं अमीरी की ठाठ हूँ,
तो गरीबी की भूख की आग भी हूँ।।
मैं मिलन की मोहक घड़ी हूँ,
तो जुदाई की वेदना भी हूँ।।
मैं बहादुर की वीरता हूँ,
तो बुज़दिल की कायरता भी हूँ।।
मैं युद्ध का विनाश हूँ,
तो मैं शान्ति की राहत भी हूँ।।
मैं सज्जन का सुकर्म हूँ,
तो दुर्जन का दुष्कर्म भी हूँ।।
मैं लगन की जीत हूँ,
तो आलस की हार भी हूँ।।
मैं आस्तिक की आस्था हूँ,
तो नास्तिक का तर्क भी हूँ।।
मैं बलवान का बल हूँ,
तो कमजोर का भय भी हूँ।।
मैं ख़ुशी की मुस्कान हूँ,
तो गम का रुदन भी हूँ।।
मैं सत्य की जीत हूँ,
तो असत्य की हार भी हूँ।।
क्योंकि मैं कवि हूँ
तो जीवन का सार भी हूँ।।
2 Comments
🙏🙏🙏
ReplyDeleteएक आलोचक होने के नाते मैं इसमे कुछ खामियां निकालना चाहा लेकिन कुछ भी ऐसा नहीं मिला। आपकी रचना को मेरा सलाम।
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